सोरायसिस त्वचा से संबंधित एक ऐसी बीमारी है, जिसमें त्वचा पर कोशिकाओं की एक मोटी परत बन जाती है। इस ऑटोइम्यून बीमारी में त्वचा पर लाल, सूखे और पपड़ीदार चकत्ते बन जाते हैं। कई बार इसमें खुजली के साथ-साथ दर्द और सूजन भी होने लगती है। ऐसे में घाव बनने की संभावना की वजह से यह स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है। आमतौर पर सोरायसिस की बीमारी तब होती है, जब आपका इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। लेकिन जरूरी उपचार, खान-पान और जीवनशैली में बदलाव की मदद से आपको इसमें राहत मिल सकती है। इस ब्लॉग में हम सोरायसिस के घरेलू उपाय के बारे में बात करेंगे। इसलिए, अगर आपको भी सोरायसिस की समस्या है, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
सोरायसिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। किसी भी उम्र में होने वाली यह बीमारी ज्यादातर 50 से ज्यादा उम्र के लोगों में देखने को मिलती है। हालांकि, बहुत से लोगों में सोरायसिस के समान लक्षण देखने को मिलते हैं। ऐसे ही कुछ लक्षणों में शामिल हैं:
सोरायसिस के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
सोरायसिस के कुछ घरेलू उपचार हैं, जिनसे आपको इस समस्या से राहत मिल सकती है।
ऐलोवेरा से त्वचा की सूजन और जलन को ठीक करने में मदद मिलती है। इसमें ऐंटी-इंफ्लेमेटरी और मॉइस्चराइजिंग गुण मौजूद होते हैं, जो सोरायसिस के लक्षण कम करके आपको राहत देते हैं।
ओटमील त्वचा को ठंडक और राहत देता है। यह खुजली और सूजन को कम करने में मदद करता है। गर्म पानी में ओटमील डालकर उसमें स्नान करें आप ओटमील का पेस्ट बनाकर भी प्रभावित क्षेत्रों पर लगा सकते हैं। यह त्वचा को मुलायम और शांत रखता है।
नारियल तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो सूजन और खुजली को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं। ताजे नारियल तेल को प्रभावित हिस्से पर लगाकर त्वचा को हाइड्रेट और सोरायसिस के लक्षणों को शांत किया जा सकता है।
हल्दी में क्यूकुमिन नाम का तत्व पाया जाता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। अगर आप दिन में 2 बार 1 गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पीते हैं, तो इससे सोरायसिस के कारण होने वाली सूजन और जलन को कम किया जा सकता है। इसके अलावा आप हल्दी का पेस्ट भी बना सकते हैं। इसे प्रभावित हिस्से पर लगाने और 30 मिनट के बाद धोने से भी आपको इस समस्या में राहत मिल सकती है।
टी ट्री ऑयल एक नेचुरल एंटीसेप्टिक है, जो त्वचा की सूजन और इंफेक्शन को कम करता है। टी ट्री ऑयल और नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से सोरायसिस के इलाज में भी मदद मिलती है।
नीम के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह त्वचा की सूजन और खुजली को शांत करने में मदद करता है। आप नीम के पत्तों को पानी में उबालें उस पानी से नहा सकते हैं। इसके अलावा आप नीम के पेस्ट को भी प्रभावित त्वचा पर लगा सकते हैं।
सोरायसिस को कंट्रोल करने के लिए एक हेल्दी डाइट लेना बेहद जरूरी है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे मछली, अलसी के बीज अखरोट और ताजे फल-सब्जियों जैसे नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट्स शामिल करने चाहिए।
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको आयुर्वेद में सिरोसिस का इलाज के बारे में बताया, लेकिन आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें। सोरायसिस की समस्या होने पर डॉक्टर से सम्पर्क ज़रूर करें और यदि आप या आपके अपनों को स्वास्थ्य से जुडी कोई समस्या है तो आप भी कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं और ऐसे ही हेल्थ से जुड़े ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक अस्पताल (कर्मा आयुर्वेद) के साथ।
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