सोरायसिस स्किन से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में स्किन के ऊपरी हिस्से पर पपड़ी बन जाती है और लाल रंग के चकत्ते उभरने लगते हैं। आमतौर पर ये धब्बे कोहनी, घुटने, कमर पर ही दिखाई देते हैं। बता दें इस बीमारी में तेज खुजली होने के साथ-साथ कई अन्य तरह की बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है, लेकिन सोरायसिस आयुर्वेद उपचार की मदद से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
1) तनाव
2) इंफेक्शन
3) धूम्रपान
4) शराब का सेवन
5) जेनेटिक कारण
1) नींद पूरी न होना
2) खुजली होना
3) स्कैल्प पर डैंड्रफ
4) सूखी, फटी हुई स्किन जिसमें से खून आ सकता है
5) जोड़ों में सूजन और अकड़न
1) बादाम - सोरायसिस की समस्या के दौरान बादाम का पाउडर बनाकर उसे एक गिलास पानी में उबाल लें। इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर रातभर लगाकर छोड़ें और सुबह पानी से धो लें। इससे स्किन पर हो रही खुजली और जलन से राहत मिल सकती है।
2) नीम का तेल - नीम में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-एलर्जिक गुण होते हैं, जो स्किन पर हो रहे इंफेक्शन और खुजली को ठीक कर सकते हैं। इसके साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी मौजूद होते हैं, जो सूजन और जलन में राहत दिला सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने से स्किन की ड्राइनेस भी खत्म हो सकती है।
3) एलोवेरा - एलोवेरा में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-माइक्रोबियल, विटामिन-ई जैसे गुण होते हैं, जो आपको इंफेक्शन से बचाने में मदद कर सकते हैं। एलोवेरा में मौजूद हीलिंग प्रॉपर्टीज खुजली और जलन को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
4) तोरई के पत्ते - तोरई के पत्तों में भी सोरायसिस की समस्या को दूर करने के गुण मौजूद होते हैं। इसके इस्तेमाल के लिए आप तोरई के पत्तों के रस में एलोवेरा का जेल और नारियल तेल मिलाकर प्रभावित जगह पर लगा लें। इससे आपको बहुत आराम मिल सकता है।
तो जैसा कि आपने जाना कि सोरायसिस आयुर्वेद उपचार क्या हो सकता है, लेकिन इसे करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
अगर आप भी सोरायसिस या उससे जुड़ी किसी भी तरह की समस्या महसूस हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। कर्मा आयुर्वेदा में डॉ. पुनीत धवन किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का इलाज कर रहे हैं।
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