ल्यूकोडर्मा विटिलिगो उपचार

ल्यूकोडर्मा जिसे विटिलिगो भी कहा जाता है, एक ऐसा बॉडी डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर सफेद दाग होने शुरू हो जाते हैं। वैसे ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्किन में रंग बनाने वाली सारी सेल्स खत्म हो जाती हैं और इन्हीं कोशिकाओं को मेलेनोसाइट्स कहा जाता है, लेकिन ल्यूकोडर्मा विटिलिगो उपचार करने से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है

ल्यूकोडर्मा विटिलिगो के लक्षण

1) स्किन का रंग फीका पड़ना

2) त्वचा सफेद हो जाना

3) रेटिना की अंदरूनी परत का रंग फीका पड़ना

4) सिर के बाल, दाढ़ी, भौंहें और पलकों का रंग उड़ना

ल्यूकोडर्मा विटिलिगो के कारण

1) परिवार में पहले किसी को ये बीमारी होना

2) स्किन का धूप के संपर्क में ज्यादा आना

3) तनाव महसूस होना

4) बॉडी के इम्यून सिस्टम का रंग उत्पादन करने वाली कोशिकाएं खत्म होना

ल्यूकोडर्मा विटिलिगो उपचार

1) नीम की पत्तियां - नीम की पत्तियों से स्किन से जुड़ी कई बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसकी पत्तियां ब्लड को साफ रखती हैं। इसके साथ ही मुट्ठीभर नीम की पत्तियों को मिक्सर में पीस लें। इसमें छाछ को मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को स्किन पर लगाने के थोड़ी देर बाद पानी से धो लें। ऐसा करने से ल्यूकोडर्मा की समस्या में आराम मिल सकता है।

2) तुलसी - तुलसी में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से न सिर्फ हेल्थ अच्छी रहती है, बल्कि स्किन से जुड़ी कई समस्याएं भी दूर हो सकती हैं। इसके पत्तों को पीसकर उसका पाउडर बनाएं और उसमें पानी मिलाकर पेस्ट बना लें। ऐसा करने से ल्यूकोडर्मा की प्रॉब्लम को काबू किया जा सकता है।

3) मूली के बीज - वहीं मूली के बीज भी ल्यूकोडर्मा के उपचार के लिए जाने जाते हैं। इनमें विटामिन बी, सी, जिंक, फॉस्फोरस होता है, जिसके इस्तेमाल से ल्यूकोडर्मा से छुटकारा मिलने में मदद मिल सकती है। इसके बीजों को मिक्सर में पीसकर पेस्ट तैयार करें और मिश्रण को प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा करने से ल्यूकोडर्मा की समस्या में आराम मिल सकता है।

तो जैसा कि आपने जाना कि ल्यूकोडर्मा विटिलिगो उपचार किस तरह से किया जा सकता है। ऐसे में इसका इस्तेमाल करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।

अगर आपको भी ल्यूकोडर्मा से जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी रोगियों का आयुर्वेदक इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेलियर का इलाज कर रहा है।

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