ल्यूकोडर्मा रोग का उपचार

ल्यूकोडर्मा जिसे विटिलिगो के नाम से भी जाना जाता है। ये एक ऐसी ऑटो इम्यून डिजीज होती है, जिसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों की स्किन पर सफेद दाग-धब्बे नजर आने लगते हैं। इसकी वजह से स्किन पर रंग निर्धारित करने वाली कोशिकाएं खत्म होने लगती हैं। वैसे ये समस्या किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है, लेकिन ऐसा ज्यादातर 20 साल की उम्र के बाद होना शुरू होता है। लेकिन ल्यूकोडर्मा रोग का उपचार करके इसे ठीक किया जा सकता है।

ल्यूरकोडर्मा के लक्षण

1) स्किन का रंग फीका पड़ जाना

2) स्किन के बाल सफेद होना

3) चोट लगने पर स्किन का सफेद होना

ल्यूकोडर्मा के कारण

1) जलने या चोट लगने से

2) पाचन तंत्र खराब होने से

3) थाइरॉइड संबंधी बीमारी होने से

4) फंगल इंफेक्शन से

5) कैल्शियम की कमी होने से

ल्यूकोडर्मा रोग का उपचार

1) बथुआ - सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा की समस्या के दौरान बथुए का इस्तेमाल करना चाहिए। इसे उबालकर उसके पानी से सफेद दाग वाली जगह को दिन में तीन से चार बार धोएं। इसे रोजाना लगाने से विटिलिगो की समस्या खत्म हो सकती है।

2) नीम के पत्ते - वहीं आप नीम के ताजे पत्तों का पेस्ट बनाकर उसे छलनी में डालें और उसका रस निकाल लें। इसके रस में एक चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें। इस मिश्रण से आपको ल्यूकोडर्मा की समस्या में आराम मिल सकता है। इसके अलावा आप अखरोट पाउडर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उसका पेस्ट बनाएं और सफेद दाग पर लगाकर छोड़ दें। ऐसा करने से आपको बहुत आराम मिल सकता है।

3) हल्दी - विटिलिगो की समस्या में आराम पाने के लिए आप हल्दी पाउडर में सरसों का तेल मिलाएं और सफेद दाग वाली जगह पर लगा लें। इस पेस्ट को रोजाना चकत्तों वाली जगह पर लगाने के बाद गुनगुने पानी से धो लें। इससे आपको बहुत आराम मिलने लगेगा।

तो जैसा कि आपने जाना कि ल्यूकोडर्मा रोग का उपचार किस तरह से किया जा सकता है, लेकिन फिर भी इसका सेवन करने से पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें। अगर आपको भी ल्यूकोडर्मा या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेलियर का इलाज कर रहा है।

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