ल्यूकोडर्मा का आयुर्वेद उपचार

ल्यूकोडर्मा को विटिलिगो या सफेद दाग भी कहा जाता है। ये एक ऐसा बॉडी डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों की स्किन पर ल्यूकोडर्मा यानी कि सफेद पैच बनना शुरू हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इससे स्किन पर बनने वाले सेल्स खत्म हो जाते हैं, जिन्हें मेलेनोसाइट्स कहा जाता है। इसे आम समस्या समझकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये आगे चलकर गंभीर समस्या पैदा कर सकती है, लेकिन चिंता की बात नहीं है क्योंकि ल्यूकोडर्मा का आयुर्वेदिक उपचार अपनाकर आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं।

ल्यूकोडर्मा के लक्षण

1) शरीर के कई हिस्सों पर सफेद धब्बे बनना 

2) हाथ-पैर और चेहरे पर दाग 

3) होठों और हाथों पर दाग दिखना

4) शरीर में एक-दो जगह पर दाग होना

5) शरीर के पूरे हिस्से पर दाग हो जाना

6) शरीर पर बालों के धब्बों का रंग बदलना   

ल्यूकोडर्मा का आयुर्वेद उपचार

1) नीम की पत्तियां - नीम की पत्तियों को स्किन से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए जाना जाता है। इसकी पत्तियां रोग प्रतिरोधक की तरह काम करके खून को साफ रखती हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए एक मुट्ठी नीम के पत्ते लेकर मिक्स में मिक्स करें। उसके बाद छाछ में मिला लें। इससे आपके पास एक सॉफ्ट पेस्ट तैयार हो जाएगा। इसे आप स्किन पर लगाकर सूखने का इंतजार करें और बाद में पानी से धो लें। इससे आपको ल्यूकोडर्मा की समस्सा में बहुत आराम मिलेगा। 

2) तुलसी के पत्ते - तुलसी के पत्तों में न सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करके शरीर को स्वस्थ रखती है, बल्कि इसके पत्तों में खुजली और सूजन को ठीक करने के गुण भी मौजूद होते हैं। 

इसके इस्तेमाल के लिए आप तुलसी की पत्तियों को रोजाना चबा भी सकते हैं। आप चाहें तो तुलसी की चाय भी पी सकते हैं। अगर आप ल्यूकोडर्मा की समस्या में तेजी से आराम चाहते हैं, तो तुलसी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और स्किन पर लगा लें। आप चाहें तो इसके पत्तों का रस निकालकर इसमें नींबू का रस मिलाकर भी स्किन पर लगा सकते हैं। इससे आपको बहुत आराम मिलेगा। 

3) मूली - मूली के बीजों में भी ल्यूकोडर्मा की समस्या को ठीक करने के गुण मौजूद होते हैं। बता दें कि मूली के बीज स्किन पर जमी गंदगी को हटाने का काम करते हैं। इसमें मौजूद फॉस्फोरस, जिंक, विटामिन-C, विटामिन-B आपको ल्यूकोडर्मा की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा। 

इसे इस्तेमाल करने के लिए आप मूली के बीज को रात पर पानी में भिगोकर छोड़ दें और सुबह मिक्सर में चलाकर पीस लें। इसके बाद इस मिश्रण को आप इफेक्टिव एरिया पर लगा लें। ऐसा करने से आपको ल्यूकोडर्मा की समस्या में बहुत आराम मिलेगा।

तो जैसा कि आपने जाना कि ल्यूकोडर्मा का आयुर्वेद उपचार करके इस समस्या में राहत पाई जा सकती है। लेकिन इन उपायों को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। 

अगर आपको भी ल्यूकोडर्मा या उससे जुडी किसी और तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी और अन्य कई बीमारी के रोगियों का इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेलियर का इलाज कर रहा है।

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