यूरिया वह अपशिष्ट होता है, जिसे साफ करने में किडनी हमारी बहुत मदद करती है। बता दें कि जब हम लोग खाना खाते हैं, तो उसमें प्रोटीन की कुछ न कुछ मात्रा होती है। वह प्रोटीन जब हमारे शरीर में पहुंचता है, तब लिवर में धीरे-धीरे टूटने लगता है, जिससे यूरिया नाइट्रोजन नाम का वेस्ट प्रोडक्ट बनाता है। यह प्रोडक्ट लिवर में बनता है और खून के जरिए हमारी किडनी तक पहुंच जाता है। वैसे वो किडनी ही है, जो हमारे खून से यूरिया नाइट्रोजन को फिल्टर करने का काम करती है और पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकल जाती है। ऐसी स्थिति स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है, लेकिन अब चिंता की बात नहीं है, क्योंकि ब्लड यूरिया घटाने की आयुर्वेदिक दवा से आपको बहुत आराम मिल सकता है।
1) मतली, उल्टी
2) हाई ब्लड प्रेशर
3) कमजोरी
4) दिल से जुड़ी समस्याएं
5) वजन कम होना
6) सूखी और खुजलीदार स्किन
7) सांस फूलना
1) डायबिटीज
2) किडनी इंफेक्शन
3) हाई ब्लड प्रेशर
4) प्रोस्टेट
1) पुनर्नवा - इस जड़ी-बूटी का नाम दो शब्दों से बना है। एक तो पुना जिसका अर्थ है फिर से और एक है नवा जिसका मतलब नया होता है। ये जड़ी बूटी न सिर्फ किडनी से अतिरिक्त तरल पदार्थ बाहर निकलाती है, बल्कि ब्लड यूरिया को भी कम करती है।
2) गोक्षुरा - गोक्षुरा एक आयुर्वेदिक औषघि है, जिसका सेवन करने से किडनी की कमजोर कोशिकाओं को ताकत मिलती है। इसका इस्तेमाल हर्बल टॉनिक के रूप में किया जाता है।
3) वरुण - आयुर्वेद में वरुण जड़ी-बूटी का खास महत्व होता है। इस दवा का इस्तेमाल किडनी में मौजूद पथरी को तोड़ने के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल यूरिनरी ट्रैक्ट के इंफेक्शन के इलाज में होता है। यह जड़ी-बूटी किडनी में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालकर ब्लड यूरिया को कम करने का काम करती है।
4) हर्बल दवा - आयुर्वेद एक प्राचीन विज्ञान है। इसका उपयोग दिल से जुड़ी बीमारियों, किडनी फेलियर, डायबिटीज में किया जाता है। हर्बल दवाएं जैसे कि मुत्रिक्रींतक चूर्ण, पुनर्नवा मंडूर, वरुणादि वटी का सेवन करने से किडनी बेहतर तरीके से काम करती है और ब्लड में मौजूद यूरिया को कम किया जा सकता है।
अब जैसा कि आपने जाना कि ब्लड यूरिया कम करने के घरेलू उपाय क्या हैं? लेकिन फिर भी इनका सेवन करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
अगर आपको भी इस रोग से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी की बीमारी से जूझ रहे रोगियों का इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है
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