पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडाशय में छोटी-छोटी गांठे बनने लगती हैं, जिन्हें सिस्ट भी कहा जाता है। यह तरल पदार्थ बजब बड़ा होने लगता है, तो इसमें छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, जिसका सीधा असर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। इससे गर्भधारण में बहुत दिक्कत होती है, लेकिन पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम का आयुर्वेदिक उपचार करके इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
1) पुदीना - पुदीने के पत्तों को एक गिलास पानी में गर्म करके थोड़ी देर उबालें और छानकर पी लें। इससे टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होता है और शरीर में बालों का बढ़ना भी कम हो जाता है।
2) दालचीनी - दालचीनी का सेवन करने से इंसुलिन के स्तर को बढ़ने से रोका जा सकता है और साथ ही इससे मोटापा भी कम होता है। ऐसे में एक चम्मच दालचीनी पाउडर को गर्म पानी में मिलाएं और छानकर पिएं।
3) मुलेठी - मुलेठी के चूर्ण को पानी में डालकर उबालें और इसे काढ़े के रूप में पिएं। मुलेठी की जड़ का चूर्ण बनाकर लेने से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आती है और ओव्युलेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है।
4) तुलसी - तुलसी में एंटी-एन्ड्रोजेनिक गुण पाए जाते हैं। तुलसी के पत्तों का रोजाना काढ़ा बनाकर पीने से बहुत आराम मिल सकता है।
5) विरेचन - ये एक पंचकर्म थेरेपी है। विरेचन न सिर्फ लिवर को, बल्कि गॉल ब्लैडर को भी साफ करता है। इससे पित्त रस के स्राव में आ रही रुकावट दूर हो सकती है। विरेचन की प्रक्रिया उन महिलाओं में उपयोगी है, जिन्हें मासिक धर्म के दौरान कम ब्लीडिंग होती है।
6) बस्ती - बस्ती एनिमा की तरह ही बड़ी आंत की सफाई करता है। इससे शरीर में जमे हुए मल के साथ-साथ सारी गंदगी साफ हो जाती है। इससे बड़ी आंत भी ठीक तरह से काम करती है। इसकी आंत का सभी अन्य ऊतकों और अंगों से संबंध होता है, जिससे पूरा शरीर ठीक हो जाता है।
तो जैसा कि आपने जाना कि पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार किस तरह से किया जा सकता है। ऐसे में इन उपायों को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
अगर आपको भी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या आ रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में करवा सकते हैं, जहां साल 1937 से किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है और जिसे अब डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस के लिए आयुर्वेदिक उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज कर रहा है।
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