पित्ताशय की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज

हमारे बदलते जीवन शैली के साथ बहुत सारे चीजों में तेजी से बदलाव हो रहें हैं। जैसे हमारे खान पान का तरीका, सोने और उठने के समय में बदलाव, और साथ ही हमारे सोचने समझने का तरीका इत्यादि। आज के समय में हर कोई सफलता पाने की होड़ में लगा हुआ है। लेकिन ऐसे में सिर्फ कड़ी मेहनत से कोई भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। क्योंकि किसी भी कार्य को करने के लिए हमे ऊर्जा की आवश्यकता होती है। और ऊर्जा हमें सही आहार और सही दिनचर्या से ही मिल सकती है। आज के समय में हर घर में आपको कोई ना कोई मरीज मिल जायेगा और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है। हमारा गलत दिनचर्या आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे पित्ताशय की पथरी के बारे में की पित्ताशय की पथरी क्या होता है और इसके इलाज क्या हैं।

पित्ताशय की पथरी क्या है

लोग बिमारियों का नाम तो जानते हैं। लेकिन कई बार बीमारी क्या है इस विषय में लोग नहीं समझ पाते तो आपको बता दें कि पित्ताशय की पथरी (कोलेलिथियसिस) यानी पित्त के कठोर टुकड़े होते हैं। जो आपके पित्ताशय या पित्त नलिकाओं में बनते हैं। ये समस्या विशेषकर महिलाओं और बच्चे को जन्म देने के समय महिलाओं में ज्यादातर देखने को मिलते हैं। पित्ताशय की पथरी हमेशा समस्याएं नहीं होती हैं लेकिन यदि ये गलती से भी आपके पित्त नली में फंस जाती हैं और आपके पित्त प्रवाह को रोक देती हैं तो ये आपके लिए काफी समस्याएं पैदा कर सकती हैं। इस लिए समय रहते पित्ताशय की थैली का आयुर्वेद उपचार जरूर कराएं।

पित्ताशय की पथरी होने का कारण

पित्ताशय में पथरी बनने के कई कारण हो सकते हैं जैसे

कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा : यकृत द्वारा बहे हुए पित्त में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी के विकास में और ज्यादा बढ़ावा देता है। क्योंकि पित्त सामान्य रूप से पर अलग हो जाता है। और यकृत के साथ -साथ अन्य पाचन अंगों के समुचित कार्य में सहायक होता है।

हार्मोनल बदलाव : जो महिलाएं गर्भनिरोधक दवाईयों का इस्तेमाल करती हैं। जब महिला का मासिक धर्म हमेशा के लिए बंद हो जाता है यानी रजोनिवृत्ति के लक्षणों के लिए हार्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा, या गर्भावस्था पित्त पथरी के निर्माण में मदद करता है।

नियमित भोजन ना करना : ज्यादातर लोग जब उपवास रखते हैं तो वो पानी भी नहीं पीते हैं। इस लिए अनियमित उपवास रखना या भोजन छोड़ने से भी पित्ताशय में पित्त एकत्रित हो जाता है और क्रिस्टलीकृत हो सकता है।

पित्ताशय में बीमारी: यदि पित्ताशय सही ढंग से पित्त को आँतों में बाहर नहीं निकलता है तो इससे पथरी बनाने की सम्भावना बढ़ जाती है।

बिलीरूबिन और वजन में असंतुलन: हमारे यकृत में सिरोसिस और कुछ रक्त के बिमारियों जैसी स्थितियों के वजह से भी यकृत आवश्यकता से अधिक बिलीरूबिन का उत्पादन करने लगता है जिसके कारण पित्त पथरी बनने की सम्भावना बढ़ जाती है।

पित्ताशय की पथरी के लक्षण

पित्ताशय की पथरी के लक्षण कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे की -

  • इस बीमारी के होने पर दर्द सबसे आम लक्षण है। इस बीमारी में ज्यादातर दर्द पेट के ऊपरी हिस्से, पीठ और कंधे में होता है और यह दर्द वसा या तले हुए खाद्य पदार्थ खाने के बाद यह और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
  • गहरे रंग का मूत्र और मिट्टी के रंग का मल होना।
  • पेट में दर्द और डकार।
  • दस्त और पीलिया के साथ साथ उलटी होना
  • खाने के बाद दाहिनी पसली के नीचे दर्द होना।
  • कंधे की हड्डियों के बीच ज्यादा दर्द होना।
  • ठंड लगने के साथ -साथ तेज बुखार होना।
  • अपच, सीने में जलन और गैस की समस्या होना।

जीवन शैली में बदलाव

1.खानपान में बदलाव: आयुर्वेद पाचन तंत्र में सुधार, सूजन को कम करने और यकृत और पित्ताशय की थैली को स्वस्थ रखने के आलावा पित्त पथरी को रोकने और उसका इलाज करने के लिए कुछ जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह देता है.

2. रोजाना अधिक मात्रा में पानी पीयें : भरपूर पानी पीने से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में और पित्त द्रव को बनाए रखने में सहायता मिलती है। आयुर्वेद में प्रतिदिन कम से कम 8 -9 गिलास गर्म या गुनगुना पानी पीने का सलाह दिया गया है।

3.नियमित भोजन करें : उपवास करने से पित्ताशय में पित्त का ठहराव और क्रिस्टलीकरण रुक जाता है। इस लिए नियमित भोजन करना चाहिए। साथ ही इस समस्या से निजात पाने के लिए आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है, जिनमें विटामिन सी, फाइबर, कैल्शियम और विटामिन बी भरपूर मात्रा में हो। इन खाद्य पदार्थों में फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, दालें, फलियाँ, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, जड़ी-बूटियाँ और मसाले भी शामिल हैं.

पित्ताशय की पथरी का आयुर्वेदिक उपचार

नींबू : नींबू एक ऐसा फल है जिसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम और फॉसफोरस होता है। इसका रोजाना सेवन करने से बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है कोलेस्ट्रॉल पित्ताशय में पथरी बनने का ही एक कारण है।

हल्दी - हल्दी को आयुर्वेदिक दवा भी कहा जाता है इसमें विटामिन C, B6 और एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं। हल्दी के ये गुण पित्ताशय की पथरी को दूर करने में सहायक होते हैं। इसके लिए आप रोजाना एक चम्मच हल्दी के चूर्ण को गरम पानी के साथ सेवन कर हैं। इससे आपको आराम मिल सकता है।

अदरक - अदरक में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल, फैट, सोडियम आदि होते हैं। जो की पित्ताशय की पथरी को दूर करने में मदद कर सकते हैं। अदरक के रोजाना सेवन करने से आपको कुछ ही दिन में आराम मिलने लगेगा।

नारियल पानी - नारियल पानी में सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। ये तत्व पित्ताशय की पथरी की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं। नारियल पानी पेट को साफ रखता है साथ ही पाचन के लिए भी ऐसे अच्छा माना जाता है।

NOTE : योगा और एक्सरसाइज के समय आप अपनी हाइड्रेशन का पूरा ख्याल रखें और शुरुआत में कोई भी मुश्किल योगा ना करें।

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पित्ताशय की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज के उपाय के बारे में बताया जो आपके शुरुआती लक्षणों में आपकी सहायता करता सकता है लेकिन आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें पित्ताशय की पथरी की समस्या बढ़ने पर डॉक्टर से भी सम्पर्क ज़रूर करें और यदि आप या आपके अपनों को पित्ताशय की पथरी से जुडी कोई भी समस्या है तो आप भी कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में किडनी फेलियर के बेस्ट डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं और एसे ही हेल्थ से जुड़े आर्टिकल्स और ब्लोग्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।

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