लीवर हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने, हार्मोन,कोलेस्ट्रॉल, को संसाधित करने के साथ -साथ विभिन्न पदार्थों को चयापचय करने में अहम भूमिका निभाता है। हालाँकि, लीवर के आलावा एक और अंग है जो इन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है पित्ताशय, इन सभी प्रक्रियाओं के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। पित्ताशय हमारे पेट के दाईं ओर स्थित एक छोटा, नाशपाती के आकार का थैला होता है। इसका मुख्य काम पित्त को एकत्रित और केंद्रित करना है यह यकृत द्वारा संश्लेषित एक पीले-भूरे रंग का पाचन एंजाइम है जो सुचारू पाचन में मदद करता है। हालाँकि, शरीर के इस अंग को प्रभावित करने वाली सबसे सामान्य बीमारियों में से एक पित्त पथरी है जिसे हम कोलेलिथियसिस भी कहते है। पित्त पथरी पित्त की कठोर गांठ होती हैं जो हमारे पित्ताशय में बनती हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको पित्त की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज के विषय में बताएंगे।
पित्ताशय में पथरी बनने के कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं
हार्मोनल बदलाव: कुछ महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं जिससे पित्ताशय में पथरी बनने की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है
भोजन में अनियमितता: अनियमित उपवास रखने या भोजन ना करने से पित्ताशय में पित्त जमा हो सकता है जिससे पित्ताशय में पथरी बन सकती है
पित्ताशय में खराबी: यदि पित्ताशय सही ढंग से पित्त को हमारी आँतों में बाहर नहीं निकाल पता है तो इससे हमारे पित्ताशय में पथरी बन सकती है।
कोलेस्ट्रॉल : यकृत द्वारा बहने वाले पित्त में कोलेस्ट्रॉल का अधिक मात्रा पित्त पथरी के विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है, क्योंकि पित्त सामान्य रूप से अलग हो जाता है और हमारे यकृत और अन्य पाचन अंगों के कार्य में मदद करता है।
पित्त का गाढ़ा होना: अगर पित्ताशय से गाढ़ा पित्त निकलता है, तो ये पित्ताशय में पथरी बनने में मदद कर सकता है
वजन का असंतुलन होना: अधिक वजन या कम वजन भी पित्ताशय में पित्त पथरी बनने का कारण हो सकता है
पित्ताशय में पथरी होने के वजह से कई तरह के लक्षण हो सकते हैं, जिनमें दर्द सबसे सामान्य बात है। दर्द ज्यादातर पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में पीठ और कंधे में होता है और ये दर्द तले हुए खाद्य पदार्थ को खाने से और भी ज्यादा बढ़ सकता है।
जीवनशैली में सुधार : आयुर्वेद पाचन क्रिया में सुधार, शरीर में सूजन को कम करने और यकृत, पित्ताशय की थैली को सही शुद्ध करके पित्त पथरी को रोकने और उसका इलाज करने के लिए कुछ जीवनशैली में बदलाव का सुझाव देता है
अधिक पानी पिएं : भरपूर पानी पीने से विषाक्त यानी toxic पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है आयुर्वेद में प्रतिदिन कम से कम 12 गिलास पानी पीने का सलाह दिया गया है।
सूतसेकर का रस: सूतसेकर के रस में सल्फर, शुद्ध पारा, लौह राख, तांबा राख, और अन्य जड़ी-बूटियाँ मौजूद होती हैं जो यकृत और पित्ताशय की कार्य को उत्तेजित करती हैं और साथ ही पाचन में सुधर करने में मदद करती हैं
हिंग्वाष्टक चूरन : हिंग्वाष्टक चूर्ण एक औषधि के रूप में काम करता है एक ऐसा चूर्ण जिसमें हींग, मारीच, शुंठी, पिप्पली, सौंफ, अजमोद, जीरा और सैंधव शामिल हैं। यह चूर्ण पाचन को बढ़ाता है, गैस, अपच ,और सूजन को कम करने में मदद करता है, पित्ताशय और यकृत को उत्तेजित करता है, पित्त प्रवाह में सुधार लाता है और पथरी को गलाने का काम करता है।
शंखवटी: शंखवटी एक आयुर्वेदिक औषधि है इसमें शंख भस्म, अदरक, पिप्पली, काली मिर्च , त्रिफला और अन्य जड़ी-बूटियां शामिल होती हैं जो सूजन और पित्ताशय की थैली के दर्द को कम करने में सहायक होती हैं पथरी को गलाने और संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलती है।
अविपत्तिकर चूरन : अदरक, काली मिर्च और पिप्पली,अखरोट घास, इलायची, लौंग, दालचीनी पत्ती, टरपेथ जड़, और चीनी को मिलकर बनाया गया एक ऐसा चूरन है जो पित्ताशय के समस्या को दूर करता है यह चूरन सूजन, एसिडिटी और पित्ताशय की थैली के दर्द को कम करने में सहायक होता है. साथ ही यकृत और पित्ताशय की थैली को साफ भी करता है, पाचन क्रिया में सुधार करता है और पथरी को गलाने में मदद करता है।
जानकारी - आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पित्त की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताया जो आपके शुरुआती लक्षणों में आपकी सहायता करता सकता है लेकिन आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें पित्त की पथरी की समस्या बढ़ने पर डॉक्टर से भी सम्पर्क ज़रूर करें और यदि आप या आपके अपनों को पित्त की पथरी की समस्या से जुडी कोई भी समस्या है तो आप भी कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं और एसे ही हेल्थ से जुड़े ब्लोग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेद के साथ।
Second Floor, 77, Block C, Tarun Enclave, Pitampura, New Delhi, Delhi, 110034