पथरी किडनी या पित्त की थैली में ही बननी शुरू होती है। इसका समय से इलाज करवाना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो आपको कई तरह की समस्याएं उठानी पड़ सकती हैं। ऐसे में आज हम पित्ताशय में बन रही पथरी की बात करेंगे।
बता दें कि पित्ताशय यानी कि गॉल ब्लैडर में पथरी छोटे-छोटे पत्थर में मौजूद होती है। ये पित्त की थैली में ही बनती है। अगर इस पर वक्त रहते काबू पा लिया जाए, तो आगे चलकर ज्यादा दिक्कत नहीं होती है।
1) नींबू - नींबू में भरपूर फाइबर, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरल, फॉसफोरस होता है। इसक सेवन करने से बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है, जो पित्ताशय में पथरी बनने का ही एक कारण है।
2) हल्दी - हल्दी में विटामिन C, B6, एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं। हल्दी के ये गुण पित्ताशय की पथरी को दूर कर सकते हैं। इसके लिए आप रोज एक चम्मच हल्दी के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। इससे आपको काफी आराम मिल सकता है।
3) अदरक - अदरक में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, कोलेस्ट्रॉल, फैट, सोडियम आदि होते हैं। अदरक के रस में मौजूद ये गुण पित्ताशय की पथरी को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके रस का रोजाना सेवन करने से आपको कुछ ही दिन में आराम मिलने लगेगा।
4) नारियल पानी - नारियल पानी में पोषक तत्व मौजूद होते हैं। ये तत्व पित्ताशय की पथरी को दूर करने में मदद कर सकते हैं। नारियल पानी पेट को साफ रखता है। ऐसे में इसे लेने से बॉडी से सारे टॉक्सिन्स को बाहर निकाला जा सकता है।
5) एलोवेरा - एलोवेरा में विटामिन्स, मिनरल्स, शुगर, एन्जाइम्स, एमिनो एसिड होते हैं। ऐसे में एलोवेरा का सेवन करने से पित्ताशय में मौजूद पथरी को खत्म करने में मदद मिल सकती है। इसका सेवन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
6) सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar) - एप्पल साइडर विनेगर में एसिडिक गुण मौजूद होते हैं। इसमें मौजूद गुण कोलेस्ट्रॉल का निर्माण नहीं होने देते हैं। बता दें कि कोलेस्ट्रॉल भी पथरी का ही एक कारण होता है। ऐसे में सेब का सिरका पीकर पथरी को धीरे-धीरे गलाकर शरीर से बाहर निकाला जा सकता है।
अब जैसा कि आपने जाना कि किन चीजों को आहार में शामिल करके आप पित की थैली में मौजूद स्टोन को बाहर निकाल सकेंगे, लेकिन फिर भी पित्त की थैली में स्टोन का आयुर्वेदिक इलाज अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
आप किडनी में आ रही किसी भी समस्या का इलाज कर्मा आयुर्वेदा में भी करवा सकते हैं, जहां साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है जिसे वर्तमान में डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है
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