पित्त की थैली में पथरी का आयुर्वेदिक उपचार

पित्त की थैली, पित्ताशय या गॉल ब्लैडर बॉडी का छोटा-सा हिस्सा होता है। यह लिवर के पीछे मौजूद होता है। बता दें कि पित्त की पथरी लिवर के नीचे होती है। ये बहुत दर्दनाक होती है। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो आपके ऑपरेशन तक की नौबत आ सकती है। पित्ताशय में कोलेस्ट्रॉल जमने या सख्त होने से पथरी की शिकायत रहने लगती है। ऐसे में न बर्दाशत करने वाला दर्द महसूस हो सकता है, लेकिन पित्त की थैली में पथरी का आयुर्वेदिक इलाज अपनाकर आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं वे उपचार कौन-से हैं - 

पित्त की थैली में पथरी के लक्षण - 

1) एसिडिटी 

2) उल्टी

3) पेट में भारीपन होना

4) बदहजमी

5) पेट फूलना 

6) पसीना आना 

पित्त की थैली में पथरी का आयुर्वेदिक इलाज - 

1) कैस्टर ऑयल - कैस्टर ऑयल या अरंडी के तेल में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। इस तेल में हीलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो पथरी को गलाने में मदद करती हैं।   

इसे इस्तेमाल करने के लिए अरंडी के तेल को गर्म करें और कपड़े में तेल लगाकर अच्छे से निचोड़ें। इसके बाद जहां लिवर होता है, वहां कपड़े को रख दें। कपड़े को प्लास्टिक शीट से ढक दें और हॉट वॉटर बैग से सिकाई करें। इससे आपको बहुत आराम मिलेगा।          

2) सेब का सिरका - एप्पल साइडर विनेगर या सेब का सिरका भी पित्त की थैली में मौजूद पथरी को गलाने में मदद करता है। इसमें मौजूद एसिडिक गुण लिवर को कोलेस्ट्रॉल बनाने नहीं देते हैं।           

इसके लिए आप 1 कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच सेब का सिरका और 1 चम्मच नींबू का रस डालकर मिला लें। इस पानी को रोजाना पीने से पथरी की वजह से लिवर के आसपास होने वाला दर्द कम हो सकता है। इससे पथरी शरीर से धीरे-धीरे बाहर निकल जाएगी।       

3) नींबू पानी - वहीं इसमें आखिरी नंबर पर आता है नींबू पानी। बता दें कि नींबू में विटामिन-सी के साथ विटामिन-बी भी होता है। इसके साथ ही इसमें फाइबर, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस के गुण होते हैं। ये शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को आसानी से घोल देते हैं। 

आप रोज सुबह एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस निचोड़कर पी लें। इससे आपको बहुत लाभ होगा। 

तो जैसा कि आपने जाना कि पित्त की थैली में पथरी का आयुर्वेदिक इलाज करके आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। ऐसे में इन तरीकों को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।   

अगर आपको भी इस रोग से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी की बीमारी से जूझ रहे रोगियों का इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है

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