नासोफेरींजल कैंसर रोग, कैंसर का अन्य प्रकार है, जो नासोफैरिंक्स (Nasopharynx) विकसित होता है। नासोफैरिंक्स नाक के पीछे और गले के ऊपर होता है, जो श्वसन प्रणाली तक वायुमार्ग का कार्य करता है। कैंसर के इस प्रकार में नासोफैरिंक्स की कोशिकाएं अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती हैं। इस तरह समय के साथ कोशिकाएं कैंसर का रूप ले लेती हैं और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। हालांकि, कई उपचार विकल्पों से नासोफेरींजल कैंसर के उपचार में मदद मिल सकती है। इस ब्लॉग में हम नासोफेरींजल कैंसर रोग लिम्फोमा कैंसर के लक्षण और कारणों पर चर्चा करेंगे। साथ ही आप जानेंगे कि नासोफेरींजल कैंसर रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?
नासोफेरींजल कैंसर रोग के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं:
नासोफेरींजल कैंसर रोग के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे:
नासोफेरींजल कैंसर रोग के मुख्य प्रकारों में में शामिल हैं:
निम्नलिखित उपायों से नासोफेरींजल कैंसर रोग के इलाज में मदद मिल सकती हैं:
हर्बल चाय- नासोफेरींजल कैंसर रोग के उपचार में अदरक, हल्दी और तुलसी से बनी हर्बल चाय बहुत फायदेमंद मानी जाती है। अदरक के एंटी-इंफ्लेमेटरी, हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट्स और तुलसी के इम्यून बूस्टिंग कैंसर के लक्षणों को कम करते हैं।
आहार में बदलाव- आहार में बदलाव करने से भी आपको नासोफेरींजल कैंसर रोग के इलाज में मदद मिलती है। इसके लिए आप विटामिन-C, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और से भरपूर आहार का सेवन कर सकते हैं।
नियमित व्यायाम- नासोफेरींजल कैंसर के उपचार के दौरान नियमित रूप से व्यायाम करना जरूरी है। इससे रक्त संचार में सुधार होता है, शारीरिक ऊर्जा प्राप्त होती है और मांसपेशियों को मजबूती प्राप्त होती है।
स्वस्थ वजन- स्वस्थ वजन बनाए रखना नासोफेरींजल कैंसर के लक्षणों या जोखिम को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है। इससे शरीर कैंसर से लड़ने में सक्षम हो पाता है।
चिंता और तनाव का नियंत्रण- चिंता और तनाव को नियंत्रित करने से नासोफेरींजल कैंसर के इलाज में मदद मिल सकती है। इससे इम्यूनिट सिस्टम को बढ़ावा मिलता है और कैंसर के लक्षण ठीक हो सकते हैं।
नासोफेरींजल कैंसर रोग में आप नीचे दिए गए विकल्पों का सेवन कर सकते हैं:
प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ- इनसे नासोफैरिंक्स की कोशिकाओं की मरम्मत में मदद मिलती है।
विकल्प- नट्स और बीज
फल और सब्जियां- विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर फल और सब्जियों का सेवन नासोफैरींजल कैंसर के लक्षणों को कम कर सकता है।
विकल्प- पालक, शलगम, ब्रोकली, गाजर और शिमला मिर्च
फाइबरयुक्त आहार- यह आहार पाचन तंत्र में सुधार करते हैं और शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। इससे नासोफैरींजल कैंसर के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
विकल्प- साबुत अनाज, ब्राउन राइस और ओट्स
हल्के और पचने में आसान भोजन- नासोफैरींजल कैंसर रोग में हल्के और पचने में आसान भोजन करना बहुत लाभकारी हो सकता है। इससे दर्द और सूजन से आराम मिल सकता है।
विकल्प- सूप, दही और स्मूदी
नासोफैरींजल कैंसर रोग में आपको कई खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए, जैसे:
फास्ट फूड, जंक फूड, और तले-भुने खाद्य पदार्थ में वसा, नमक और कैलोरी की उच्च मात्रा होती है। इससे आपका इम्यून सिस्टम प्रभावित हो सकता है।
मीठे और शर्करायुक्त आहार जैसे बेक्ड प्रॉडक्ट, मिठाई, कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचें। इससे शरीर में सूजन बढ़ती है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।
अधिक शराब का सेवन इम्यून सिस्टम को कमजोर बना सकता है। इससे नासोफेरींजल कैंसर के जोखिम को बढ़ावा मिलता है।
चिप्स और नमकीन जैसे खाद्य पदार्थों में नमक की अधिक मात्रा होती है। इससे शरीर में पानी का संचय और रक्तचाप बढ़ सकता है।
गर्म और मसाले वाले भोजन से गले में जलन और दर्द की समस्या हो सकती है। इससे नासोफेरींजल कैंसर के लक्षण बढ़ सकते हैं।
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि नासोफेरींजल कैंसर रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। साथ ही अगर आप या आपके कोई परिजन नासोफेरींजल कैंसर या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं और आप आयुर्वेद में नासोफेरींजल कैंसर रोग का इलाज ढूंढ़ रहे हैं, तो आप कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर्स से इलाज करवा सकते हैं। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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