झागदार मूत्र के 5 आयुर्वेदिक उपचार

पेशाब में झाग आना एक ऐसी समस्या है, जिसे अक्सर लोग जाने-अनजाने नजरअंदाज कर देते हैं। इसमें छोटे-छोटे बुलबुले उठते हैं। ये बुलबुले कई कारणों से बन सकते हैं, लेकिन बता दें कि झागदार मूत्र के आयुर्वेदिक उपचार करके इस समस्या में राहत पाई जा सकती है।

झागदार मूत्र का कारण

पेशाब में झाग आने के लक्षण

  • 1) पेशाब करने की बार-बार इच्छा होना
  • 2) पेल्विक एरिया में दर्द होना
  • 3) ज्यादा मात्रा में पेशाब निकलना
  • 4) पेशाब से बदबू आना
  • 5) पेशाब के दौरान जलन होना
  • 6) कम मात्रा में जल्दी-जल्दी पेशाब आना

झागदार मूत्र के आयुर्वेदिक उपाय

1) अदरक - अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से ब्लैडर में होने वाले इंफेक्शन और इंफ्लेमेशन को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अदरक बेहतरीन मसालों में से एक है। सूखे अदरक को शहद, पानी में उबाल लें। इसे छानकर पीने से झागदार यूरिन की समस्या में बहुत आराम मिल सकता है।

2) ब्लूबेरी जूस - ब्लूबेरी के जूस में एंटी-ऑक्सिडेंट्स और कई तरह के कंपाउंड्स मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से यूटीआई की वजह से बनने वाले बैक्टीरिया को खत्म किया जा सकता है। ब्लूबेरी जूस पीने से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, झागदार मूत्र, यूरिन से बदबू आने की समस्या को रोका जा सकता है। इसे झागदार पेशाब का नेचुरल इलाज माना जा सकता है।

3) धनिए वाला पानी - पानी में थोड़ा-सा साबुत धनिया डालकर उसे पका लें। पानी के गुनगुना होने पर उसे छानकर पिएं। धनिए के बीजों में मूत्रवर्धक और रोगाणुरोधी तत्व होते हैं। इसका सेवन करने से झागदार मूत्र और यूटीआई की समस्या में बहुत आराम मिल सकता है।

4) आंवला - पेशाब में झाग आने की समस्या को आंवले से भी कंट्रोल किया जा सकता है। आंवले में एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से पेशाब में आ रहे झाग को कम किया जा सकता है। इससे यूरिन में आ रही बदबू और यूटीआई की परेशानी को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।

5) सिंहपर्णी की जड़ की चाय - सिंहपर्णी की जड़ में ड्यूरेटिक गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से यूरिन के फ्लो को बढ़ाने में मदद मिलती है और साथ ही यूरिन में प्रोटीन को कम करने में भी मदद मिलती है। इसका सेवन करने से झागदार मूत्र की परेशानी खत्म हो सकती है।

तो जैसा कि आपने जाना कि झागदार मूत्र के 5 आयुर्वेदिक उपचार कौन-से हैं। ऐसे में इन्हें अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।

अगर आपको भी झागदार मूत्र या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किडनी को बिना डायलिसिस के ही ठीक किया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा में किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार कर रहा है।

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