क्रिएटिनिन बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए

क्रिएटिनिन ब्लड में बनना वाला एक अपशिष्ट पदार्थ है। इसका शरीर में बढ़ना किडनी की समस्या का ही संकेत होता है। वैसे तो ये कई वजहों से बढ़ सकता है, जैसे कि ज्यादा प्रोटीन लेना, ज्यादा एक्सरसाइज करना आदि। ऐसे में कुछ चीजें भी होती हैं, जो क्रिएटिनिन बढ़ने का कारण मानी जाती हैं। तो आइए ऐसे में जानते हैं कि क्रिएटिनिन बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए, जिससे आप इस समस्या से बच सकेंगे।

क्रिएटिनिन बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए

1) मीट - मीट खाना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है, लेकिन क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने पर मीट का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे क्रिएटिनिन और तेजी से बढ़ सकता है। 

2) हरी सब्जियां - अगर आपका क्रिएटिनिन लेवल बढ़ा हुआ है, तो आप हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि कठहल, बैंगन, फूल गोभी, ब्रोकली आदि। ये सब्जियां शरीर में क्रिएटिनिन के स्तर को बढ़ाने का काम करती हैं। 

3) दाल - वहीं अगर आपको हाई क्रिएटिनिन की समस्या है, तो आप अपनी डाइट में राजमा, मसूर की दाल, उड़द की दाल, छोले, चने की दाल, मटर, सोयाबीन, काले चने जैसी दालों को शामिल न करें। ये सभी बहुत भारी दालें होती हैं, जो आसानी से नहीं पचती हैं। इसकी वजह से ये शरीर में क्रिएटिनिन का निर्माण करती हैं। 

4) डेयरी प्रोडक्ट्स - वहीं जो लोग बढ़ते हुए क्रिएटिनिन से परेशान हैं। वे कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि पनीर, चीज़, दही, दूध आदि चीजों का सेवन न करें। ये सभी चीजें शरीर में क्रिएटिनिन लेवल को बढ़ाने का काम करती हैं। 

5) प्रोसेस्ड फूड - वहीं ज्यादा जंक फूड, तीखा खाना, कोल्ड ड्रिंक, सोया चाप, चाय और कॉफी जैसी चीजें भी आपके ब्लड में क्रिएटिनिन का निर्माण करते हैं। 

क्रिएटिनिन का आयुर्वेदक इलाज

तो जैसा कि आपने जाना कि क्रिएटिनिन बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए? ऐसे में अगर आपका क्रिएटिनिन भी बढ़ा हुआ है और आप इन्हें खा रहे हैं, तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें। 

अगर आपको भी क्रिएटिनिन या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी और अन्य कई बीमारी के रोगियों का इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी का आयुर्वेदक इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेलियर का आयुर्वेदक इलाज कर रहा है।

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