क्रिएटिनिन ब्लड में बनने वाला एक अपशिष्ट पदार्थ है। किडनी खून से क्रिएटिनिन को फिल्टर करने का काम करती है। इसके बाद ही क्रिएटिनिन को यूरिन के साथ बाहर निकाला जाता है।
अगर शरीर में क्रिएटिनिन संतुलित स्तर पर है, तो ये सामान्य बात है। लेकिन अगर इसका स्तर बढ़ जाता है, तो न सिर्फ किडनी, बल्कि शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है।
ऐसे में आज हम आपके लिए क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक दवा लेकर आए हैं, जिनका सेवन करने से आपको बहुत लाभ हो सकता है।
1) बिच्छू बूटी (Nettle Leaf) - इसका इस्तेमाल करने से शरीर में क्रिएटिनिन के स्तर का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद हिस्टामाइन किडनी में जाकर ब्लड सर्कुलेशन और रीनल एक्सक्रीशन को बढ़ाने का काम करती है। इसका सेवन करने से क्रिएटिनिन को बाहर निकाला जा सकता है।
2) सिंहपर्णी जड़ - सिंहपर्णी जड़ को Dandelion Root भी कहते हैं। इसका सेवन करने से क्रिएटिनिन लेवल को कम करने में मदद मिलती है। सिंहपर्णी की जड़ की चाय पीने से क्रिएटिनिन लेवल में सुधार किया जा सकता है।
3) अदरक - अदरक में फ्लेवोनॉइड्स और इथेनॉल होते हैं। ये एंटी-ऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लामेटरी गुणों को दर्शाते हैं। अदरक का सेवन करने से शरीर में क्रिएटिनिन के लेवल को कम किया जा सकता है।
4) हल्दी - हल्दी से स्वास्थ्य को कई तरह के लाभ होते हैं। इसे न सिर्फ किडनी को बेहतर बनाने के लिए, बल्कि क्रिएटिनिन को कम करने के लिए भी जाना जाता है। हल्दी में एंटी-इफ्लामेटरी और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से सूजन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को भी कम किया जा सकता है।
5) सैल्विया - शरीर में क्रिएटिनिन के लेवल को कम करने के लिए सैल्विया का सेवन भी किया जा सकता है। इसके सेवन से शरीर में ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट बढ़ने लगता है, जिससे क्रिएटिनिन को फिल्टर करने में फायदा होता है। इसमें मौजूद लिथेस्पर्मेट-बी नाम का तत्व शरीर से अतिरिक्त क्रिएटिनिन को बाहर निकालने में मदद करता है।
6) हर्बल टी - क्रिएटिनिन के स्तर को कम करने के लिए हर्बल टी बहुत फायदेमंद मानी जाती है। हर्बल टी का सेवन करने से क्रिएटिनिन को फिल्टर करने में मदद मिलती है। इसका सेवन करने से किडनी आसानी से क्रिएटिनिन को फिल्टर करके यूरिन तक भेज देती है।
अब जैसा कि आपने क्रिएटिनिन कम करने की आयुर्वेदिक औषधि के बारे में जाना, लेकिन फिर भी इन्हें आहार में शामिल करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
जहां बढ़े हुए क्रिएटिनिन को आयुर्वेद से ठीक किया जा सकता है, वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो क्रिएटिनिन कम करने की एलोपैथिक दवा का इस्तेमाल करते हैं। मगर वो ये नहीं जानते कि ये एलोपैथिक दवाइयां कुछ ही समय के लिए शरीर को आराम देती हैं, लेकिन बाद में इन्हीं दवाइयों के नकारात्मक प्रभाव भुगतने पड़ सकते हैं।
आप किडनी में आ रही किसी भी समस्या का इलाज कर्मा आयुर्वेदा में भी करवा सकते हैं, जहां साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है जिसे वर्तमान में डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।
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