क्या किडनी सिकुड़ना खतरनाक है

किडनी शरीर का सबसे जरूरी हिस्सा मानी जाती है। किडनी से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें किडनी सिकुड़ना सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। किडनी सिकुड़ने का मतलब है कि शरीर में कई सारी मुसीबतें आना।

किडनी सिकुड़न क्या है?

पहले बता दें कि किड़नी तब सिकुड़ने लगती है जब नेफ्रॉन के दब जाने के कारण किडनी का आकार छोटा हो जाता है। इसके कारण किडनी अपने काम करने में असमर्थ हो जाती है। किडनी की ये स्थिति किडनी फेलियर के समान ही होती है। इसमें किडनी विषैले पदार्थों को फिल्टर करके पेशाब के जरिए बाहर नहीं निकाल पाती है। इससे रोगी के खून में क्रिएटिनिन बढ़ने लगता है और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में अगर आपके दिमाग में भी यही सवाल आ रहा है कि क्या किडनी सिकुड़ना खतरनाक है? तो बता दें कि इसका जवाब हां ही है।

किडनी सिकुड़ने के कारण

1) जरूरत से ज्यादा शुगर खाना - जिन लोगों को मीठा ज्यादा पसंद होता है। वे जरूरत से ज्यादा शुगर का सेवन कर लेते हैं। इससे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ने लगता है, जिससे आपकी किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में शुगर से भरपूर ड्रिंक्स, मसाले आदि खाने से बचें।

2) कम पानी पीना - शरीर में पानी कम जाने से न सिर्फ आप डिहाइड्रेट होने लगेंगे, बल्कि शरीर के अन्य अंग भी ठीक से काम नहीं करेंगे। पानी पीने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकलने लगते हैं। इससे किडनी में मौजूद पथरी भी यूरिन के जरिए बाहर निकल सकती है, लेकिम वहीं कम पानी पीने से किडनी सिकुड़ने लगती है।

3) ज्यादा नमक का सेवन करना - कुछ लोगों को ज्यादा नमक खाने की आदत होती है। इस आदत को तुरंत बदल लेना चाहिए, क्योंकि ज्यादा नमक का सेवन करने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। इसके लिए आप पैक्ड और पैकेज्ड फूड्स न लें।

4) नॉनवेज खाना - ज्यादा नॉनवेज खाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। वैसे तो शरीर को प्रोटीन की जरूरत होती है, जिसे पूरा करने के लिए नॉनवेज की जगह फल और सब्जियां चुनना ठीक रहता है। ऐसे में जरूरत से ज्यादा नॉनवेज खाने से किडनी सिकुड़न की शिकायत हो सकती है।

तो जैसा कि आपने जाना कि क्या किडनी सिकुड़ना खतरनाक है? ऐसे में अगर आपको भी ये आदतें हैं, तो तुरंत बदल लें वरना ये आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

अगर आपको भी किडनी सिकुड़न या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या आ रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में करवा सकते हैं, जहां साल 1937 से किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है और जिसे अब डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक इलाज या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज कर रहा है।

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