किडनी को शरीर का जरूरी और महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, लेकिन आजकल बदलते लाइफस्टाइल की वजह से किडनी में बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, जिसका पता चलते ही लोग दवाइयां खाना शुरू कर देते हैं, जिससे आगे चलकर दिक्कतें होनी शुरू हो जाती हैं। लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि क्या किडनी की बीमारी का आयुर्वेद से इलाज है? तो बता दें कि ऐसा संभव है।
1) हाई ब्लड प्रेशर
2) थकान
3) कमजोरी
4) खुजली होना
5) यूरिन में बदलाव
6) भूख में कमी आना
1) अश्वगंधा - अश्वगंधा में सेल्स को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने की गतिविधि होती है। अश्वगंधा का इस्तेमाल किडनी को डैमेज होने से बचाने और इसके उपचार के लिए किया जा सकता है।
2) पुनर्नवा - पुनर्नवा यूरिन के हेल्दी फ्लो में मदद के लिए सेल्स में फ्लुइड के लेवल को बनाए रखता है। इस आयुर्वेदिक दवाई का सेवन करने से किडनी खराबी का इलाज किया जा सकता है और पूरे शरीर में जान आ जाती है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों की वजह से, पुनर्नवा पैरों और जोड़ों में सूजन आने की समस्या को कम किया जा सकता है।
3) गोक्षुर - ये आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी किडनी की बीमारी के कारण किडनी में इंफेक्शन और यूरिनरी डिसचार्ज के कारण होने वाली यूरनरी समस्याओं का इलाज कर सकता है।
4) कासनी - कासनी को किडनी से जुड़ी सभी समस्याओं का रामबाण इलाज माना जाता है। कासनी रेस्पिरेटरी सिस्टम के कारण होने वाली किडनी फेलियर की समस्याओं में अच्छा काम करती है।
तो अगर आप भी सोच रहे हैं कि क्या किडनी की बीमारी का आयुर्वेद से इलाज है? तो इन्हें अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
अगर आपको भी किडनी या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी और अन्य कई बीमारी के रोगियों का इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी रोगियों का आयुर्वेदक इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेलियर का इलाज कर रहा है।
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