किडनी पेशेंट को क्या नहीं खाना चाहिए?

किडनी शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, जिसका कार्य रक्त को फिल्टर करना, शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालना और फ्लूड बैलेंस को संतुलित बनाए रखना है। लेकिन, गलत खान-पान और अस्वस्थ जीवनशैली जैसे कुछ जोखिम कारक किडनी की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे किडनी संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आपको पहले से किडनी की कोई बीमारी है, तो आपके लिए सही आहार का सेवन करना बहुत जरूरी है। इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि किडनी पेशेंट को क्या नहीं खाना चाहिए?

किडनी रोग के लक्षण

किडनी रोग के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं। इसके कुछ अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • पेट में दर्द
  • सूजन और जलन
  • पेशाब के रंग में बदलाव
  • कम पेशाब आना
  • पेशाब में रक्तस्राव
  • बार-बार पेशाब की इच्छा
  • पीलिया (Jaundice)
  • शरीर में सूजन होना
  • उल्टी या मतली
  • कमजोरी और थकान

किडनी रोग के कारण

कई जोखिम कारक किडनी रोग के विकास का प्रमुख कारण बन सकते हैं, जैसे:

  • इंफेक्शन
  • उच्च रक्तचाप
  • डायबिटीज
  • आनुवांशिकता
  • अधिक आयु
  • दवाओं का प्रभाव

किडनी पेशेंट क्या खाएं?

अगर आप किडनी पेशेंट हैं, तो आप आहार में निम्नलिखित विकल्पों को शामिल कर सकते हैं:

  • सोडियम की कम मात्रा
  • प्रोटीन का कम सेवन
  • संतुलित कैलोरी और वसा
  • प्रोटीन की संतुलित मात्रा

किडनी पेशेंट क्या न खाएं?

किडनी के मरीजों को आमतौर पर कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज की सलाह दी जाती है। ऐसे ही कुछ आहार विकल्प नीचे दिए गए हैं:

नमक का अधिक सेवन - किडनी के मरीजों को अधिक नमक के सेवन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि नमक की अधिक मात्रा आपकी किडनी पर दबाव डाल सकती है और इससे आपका रक्तचाप बढ़ सकता है। इस स्थिति का असर किडनी की कार्यप्रणाली पर होता है, जिससे समस्या गंभीर हो सकती है।

पोटैशियम से भरपूर आहार - किडनी के मरीजों को पोटैशियमयुक्त आहार से परहेज की सलाह दी जाती है। इसका कारण किडनी मरीजों के शरीर में डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस का कम होना है, जिससे पोटैशियम का स्तर बढ़ने लगता है और यह दिल की धड़कन को प्रभावित करके गंभीर बीमारियां उत्पन्न कर सकता है।

फॉस्फोरस के सेवन से परहेज - किडनी के मरीजों के लिए फॉस्फोरस के सेवन से परहेज करना आवश्यक है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि किडनी की कार्यक्षमता कमजोर होने पर शरीर टॉक्सिंस को बाहर निकालने में असमर्थ होता है। इससे शरीर में फॉस्फोरस की मात्रा बढ़ सकती है, जो दिल से संबंधित समस्याओं का प्रमुख कारण है।

प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा - प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रोटीन का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है। लेकिन, किडनी के मरीजों को प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा से बचना चाहिए। इसका प्रमुख कारण किडनी की कार्यक्षमता में रुकावट आना है, जिससे किडनी प्रोटीन को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाती और टॉक्सिंस शरीर में जमा होने लगते हैं। यह किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं और उसकी कार्यप्रणाली को कमजोरी बनाते हैं।

चीनी का सीमित सेवन - किडनी के मरीजों के लिए चीनी का सेवन सीमित करना जरूरी है, क्योंकि इससे आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित हो सकता है। यह किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालता है और ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाता है। इसका प्रभाव आपकी किडनी की कार्यक्षमता पर होता है और किडनी की कार्यक्षमता कमजोर हो सकती है।

तला हुआ और वसायुक्त भोजन - किडनी मरीजों द्वारा तला हुआ और वसायुक्त भोजन करना कई बीमारियों का कारण बन सकता है। इस प्रकार का भोजन कैलोरी और वसा में उच्च होता है, जिससे वजन बढ़ता है और किडनी पर दबाव डलता है। यह स्थिति आपके रक्तचाप और रक्त शर्करा स्तर में बढ़ोतरी करती है, जिससे किडनी की समस्या गंभीर हो सकती है।

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि किडनी पेशेंट को क्या नहीं खाना चाहिए?, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें। साथ ही अगर आप या आपके कोई परिजन किडनी या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं और आप आयुर्वेद में किडनी की समस्या का इलाज ढूंढ़ रहे हैं, तो आप कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टरों से इलाज करवा सकते हैं। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।

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