किडनी डायलिसिस क्या होता है?

किडनी खराबी में सबसे पहले डायलिसिस करने के लिए बोल दिया जाता है। ऐसे में अगर आप सोच रहे हैं कि आखिर किडनी डायलिसिस क्या होता है? तो आइए विस्तार से जानते हैं।

किडनी डायलिसिस ब्लड से निकलने वाले अतिरिक्त अपशिष्ट और तरल पदार्थ को हटाने की ही एक प्रक्रिया मानी जाती है। ये तब कराया जाता है जब किडनी सही तरीके से काम करना बंद कर देती है। इसमें ब्लड को साफ करने के लिए रोगी को मशीन में भेजा जाता है। हालांकि वैसे किडनी ही है, जो ब्लड को फिल्टर करने का काम करके शरीर से अपशिष्ट और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है और इन्हें यूरिन के जरिए बाहर निकालती है।

डायलिसिस मरीजों का डाइट चार्ट

1) सुबह के समय - डायलिसिस के मरीजों को सुबह उठते ही सबसे पहले चाय या कॉफी लेनी चाहिए, जिसे आपको सुबह-सुबह के समय ही लेना चाहिए। बस इस बात का ध्यान रहे कि आपकी चाय या कॉफी टोन्ड मिल्क से न बने हुए हो।

2) नाशता - डायलिसिस के मरीजों को अपने सुबह के नाशते में चाय के बाद करीब 9 बजे के आसपास ब्रेकफास्ट करना चाहिए। नाशते में वे उपमा, सैंडविच, सांभर या प्लेन डोसा जैसी चीजों को शामिल कर सकते हैं।

3) ब्रंच - डायलिसिस के मरीज नाश्ते के बाद 10 से 11 बजे के आसपास छोटा-सा ब्रंच ले सकते हैं। इसमें आप फल जैसे कि स्ट्रॉबेरी, सेब, अनानास या अमरूद को शामिल कर सकते हैं।

4) लंच - किडनी डायलिसिस रोगी अपने लंच में दाल, आटे की रोटी, चावल, सब्जी, सलाद जैसी चीजें शामिल कर सकते हैं।

 

डायलिसिस के मरीज न करें इन चीजों का सेवन -

1) पैकेट फूड्स का सेवन न करें।

2) ज्यादा नमक वाली चीजें न खाएं।

3) डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि दूध, दही और पनीर से दूरी बना लें। इनमें फास्फोरस की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।

4) डायलिसिस के मरीजों को अचार, फिश, सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन नहीं करना चाहिए।

5) पोटेशियम से भरपूर सब्जियां जैसे कि संतरा, एवोकाडो, कीवी, टमाटर से दूर रहें।

तो जैसा कि आपने जाना कि आखिर किडनी डायलिसिस क्या होता है? इसके साथ ही डायलिसिस के मरीजों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, लेकिन फिर भी इन चीजों को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि वो आपकी रिपोर्ट्स देखकर बेहतर तरीके से बता पाएंगे कि आपके लिए ये डाइट सही है या नहीं।

अगर आपको भी किडनी डायलिसिस या उससे जुड़ी किसी भी तरह की समस्या है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी रोगियों का आयुर्वेदक इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी की बीमारी से जूझ रहे रोगियों का इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का आयुर्वेदक इलाज कर रहा है।

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