एमडी रोग को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग भी कहा जाता है. जिसमें मांसपेशियां लगातार कमज़ोर होती जाती हैं. इसलिए इस बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि एमडी रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए. लेकिन इससे पहले कुछ आम जानकारी होना ज़रूरी है जैसे;
यह एक जन्मजात यानी माता-पिता से मिले रोगों के एक समूह की वजह से होता है.
इसके 3 मुख्य प्रकार हैं -
डूशेन एमडी: यह ज़्यादातर लड़कों में होता है. इसकी शुरुआत 3 से 5 साल की उम्र में होती है और 12 साल तक चलना-फिरना लगभग बंद हो जाता है.
फ़ेसियोस्कैपुलोह्यूमरल एमडी: यह नौजवानों में पाया जाता है जिनकी उम्र 12 से 19 की होती है. इससे चेहरे की मांसपेशियों और हाथ-पैरों की कुछ मांसपेशियों में कमज़ोरी पैदा होती है जो लगातार बढ़ती जाती है।
मायोटोनिक एमडी: इसकी कोई तय उम्र नहीं होती. इसमें अंगुलियों और चेहरे की मांसपेशियों में मायोटोनिया यानी लंबे समय तक मांसपेशियों में ऐंठन वाली स्तिथि होती है । इसके अलावा पिलपिले-पंजों और कदम ऊंचे उठाकर चलने वाली चाल, मोतियाबिंद, दिले से जुडी और हॉर्मोन संबंधी दिक्कतें होती हैं। इससे रोगी का चेहरा लंबा होता है, पलकें नीचे गिरती हुई होती हैं और पुरुषों के सिर का अगला भाग गंजा हो जाता है।
यह एक ऐसी बिमारी है जिसका कोई तय ईलाज नहीं है लेकिन कुछ उपचारों से इसकी तकलीफों को कम किया जा सकता है जैसे;
फिजिकल थेरेपी: इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और सिकुडन कम होती है.
सर्जरी: ज़्यादा गंभीर समस्या होने पर, सिकुडन होने पर और स्कोलियोसिस यानी कटीरी की हड्डी में टेढ़ेपन के ईलाज के लिए सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है.
दवाई: मांसपेशी की कमज़ोरी कम करने और फेफ़ड़े के काम में सुधार करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दवा काम आ सकती है. इसके अलावा और भी दवाइयां होती हैं जो डॉक्टर की सलाह से ली जा सकती हैं.
क्योंकि एमडी रोग का कोई तय ईलाज नहीं है इसलिए इसमें खान-पान का ध्यान रखना रोगी की तकलीफ कम करने और मांसपेशियों की कमज़ोरी रोकने में बहुत मदद कर सकता है. इसलिए यह जानना सबसे महत्त्वपूर्ण है कि ऐसी क्या चीज़ें हैं जो एमडी रोग होने पर नहीं खानी चाहिए.
ज़्यादा कैलोरी और फैट (वसा) वाली चीज़ें- क्योंकि ये चीज़ें मेटाबॉलिज्म और दिल से जुडी बीमारियों को बढाती हैं.
ज़्यादा नमक वाली चीज़ें- सोडियम वाली नमकीन चीज़ों से एमडी रोगी को बचना चाहिए.
प्रोसेस्ड फ़ूड- डिब्बाबंद मांस, बेकन, हॉट डॉग, सॉसेज, बोलोग्ना, हैम और सलामी जैसी चीज़ें नहीं खानी चाहिए.
मसालेवाली चीज़ें- आचार, पापड़ आदि खाने से एमडी रोग के लक्षण और भी खराब हो सकते हैं.
ज़्यादा चीनी- क्योंकि चीनी से भरपूर चीज़ें खाने से सूजन बढ़ सकती है.
जंकफूड और डिब्बाबंद पीने की चीज़ें- पिज़्ज़ा, बर्गर जैसी चीज़ों में मैदा होता है इसलिए इन्हें नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा सॉफ्ट ड्रिंक्स, कॉल्डड्रिंक्स आदि से भी बचना चाहिए क्योंकि इनमें चीनी, नमक आदि की मात्रा ज़्यादा होती है.
सही है. क्योंकि हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम और विटामिन डी बहुत ज़रूरी होते हैं और साथ ही डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाने वाला प्रोटीन भी मांसपेशियों के लिए फायदेमंद होता है.
हाँ. क्योंकि ग्लूटेन खाने से शरीर में सूजन बढ़ सकती है और आँतों को भी नुकसान हो सकता है जो एमडी रोग के लक्षणों को और भी खराब कर सकता है.
कैफीन मांसपेशियों की ऐंठन और कमजोरी बढ़ा सकता है इसलिए एमडी रोग में कैफीन से परहेज़ बहुत ज़रूरी है.
ज़्यादा नमक वाले मसाले, सेलेनियम और/या विटामिन ई की कमी वाले मसाले एमडी रोगी को नहीं खाने चाहिए जैसे धनिया, जीरा, हल्दी, और काली मिर्च.
हाँ, ख़ासकर ज़्यादा चीनी वाले फल जैसे तरबूज, खरबूजा, अंगूर और वो फल जो पाचन से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकते हैं जैसे अमरुद और पके हुए फल.
आज के इस ब्लॉग में हमने आपको बताया कि एमडी रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए. लेकिन आप सिर्फ इन सुझावों पर निर्भर ना रहें. अगर आपको एमडी रोग है या ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें या कर्मा आयुर्वेद अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपना इलाज करवा सकते हैं. हेल्थ से जुड़े ऐसे और भी ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेद के साथ।
Second Floor, 77, Block C, Tarun Enclave, Pitampura, New Delhi, Delhi, 110034