एचआईवी या एड एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है। इस दौरान किसी भी तरह की बीमारी होने पर वह जल्दी ठीक नहीं हो सकती है। यहां तक कि बीमारी के लिए दवा करने से दवा का असर भी खत्म होने लगता है। ऐसे में एड के लिए आयुर्वेदिक दवा करके आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
1) शरीर पर चकत्ते होना
2) गले में खराश होना
3) बुखार आना
4) थकान
5) जोड़ों में दर्द
6) रात को पसीना आना
1) यौन संबंध असुरक्षित तरीके से बनाना
2) रक्त संचरण
3) इंजेक्शन को शेयर करना
4) गर्भावस्था या स्तनपान
1) व्यायाम - एड होने पर नियमित रूप से व्यायाम करें। ऐसा करने से ब्लड में गर्मी बढ़ती है, जिससे वायरस कमजोर या खत्म कर सकते हैं।
2) च्यवनप्राश - च्यवनप्राश को एड के लिए एक प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार माना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन-सी के साथ-साथ एंटी-ऑक्सिडेंट्स जैसे कि एंटीफंगल, जीवाणुरोधी और एंटी-वायरल गुण होते हैं। इसमें कम से कम 35 जड़ी-बूटियां शामिल होती हैं, जो एचआईवी के इलाज में प्रभावशाली माना जाता है।
3) तुलसी - तुलसी के पत्तों में वायरसरोधी गुण मौजूद होते हैं। इसमें जीवाणुरोधी, एंटी-ऑक्सिडेंट्स और दर्द-निवारक गुण होते हैं, जो पेट के कीड़ों को खत्म करते हैं, लेकिन साथ ही तुलसी में भूख और पाचन क्रिया को बेहतर करने के गुण भी मौजूद होते हैं।
4) पुनर्नवा - पुनर्नवा में इम्यूनमॉड्यूलेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसके साथ ही इसमें वायरसरोधी और एचआईवी से लड़ने के गुण भी मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से आप न सिर्फ वायरल इंफेक्शन बल्कि बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बच सकते हैं।
5) हरीतकी - हरीतकी में जीवाणुरोधी, सूजनरोधी, इम्यूनोमोड्यूलेटरी गुण पाए जाते हैं, जो एचआईवी संक्रमित या एड्स के मरीजों में इम्यूनिटी को बेहतर करने और बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं।
तो जैसा कि आपने जाना कि एड के लिए आयुर्वेदिक दवा क्या होती है? ऐसे में इनका सेवन करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।
अगर आपको भी एड या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या आ रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में करवा सकते हैं, जहां साल 1937 से किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है और जिसे अब डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक इलाज या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज कर रहा है।
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