आज कल के समय में फैटी लिवर रोग एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जिसमें ज्यादा वसा के कारण लिवर में सूजन उत्पन्न हो जाती हैं, ये समस्या अक्सर खराब जीवनशैली और आहार की वजह से होते हैं आज इस आर्टिकल में हम आयुर्वेदा में फैटी लिवर रोग ठीक हो सकता है जिसमें हम ये जानेंगे की फैटी लिवर रोग के आयुर्वेदिक उपचार में कैसे सहायक हो सकते हैं। साथ ही हम इस स्थिति की कारणों और लक्षणों पर भी ध्यान देंगे।
फैटी लिवर के शुरूआती समय में सभी लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं, पर समय के साथ जैसे ही स्थिति गंभीर होती है तो कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं जो निम्नलिखित है,
पुनर्नवा - पुनर्नवा एक असरदार आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जाना जाता है, जिसमें ये किडनी, लिवर और मूत्र प्रणाली के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं जिससे शरीर से टोक्सिंस बाहर आ जाते हैं साथ ही इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण लिवर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, साथ ही ये वसा के मेटाबोलिज़्म को सुधारने में मदद करती है, जिससे शरीर में वसा जमा नहीं होते जो फैटी लिवर की समस्या में मदद कर सकते हैं
गिलोय - गिलोय आयुर्वेद में प्रसिद्ध औषधियों में से एक है, इसे मुख्य रूप से अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन को कम करते हैं, और इसके इम्यून बूस्टिंग गुण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है, और इसमें सबसे जरूरी हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं जो लिवर की कोशिकाओं को फिर से उत्पन्न करने में मदद करते हैं इसलिए ये यह लिवर की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को सुधारने और उसकी कार्यप्रणाली को सुधारने में सहायक है। जिससे फैटी लिवर का इलाज किया जा सकता है।
आंवला - आंवला आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है। आंवला में हेल्थ प्रोटेक्टिव और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो लिवर की कोशिकाओं को ठीक करने में फायदेमंद होते हैं। ये वसा के मेटाबोलिज्म को संतुलित करने में भी मदद करता है, जिससे शरीर में वसा का जमाव कम होता है। साथ ही इसका सेवन कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, क्योंकि अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल लिवर में वसा के जमाव का कारण बन सकता है, और आंवला इसे नियंत्रित कर सकता है।
शंखपुष्पी - शंखपुष्पी एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ीबूटी है, जिसे विशेष रूप से मानसिक शांति और तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने के लिए जाना जाता है, ये एक डीटॉक्सिफाइंग औषधि है जो लिवर को शुद्ध और उसके कार्य को बेहतर बनाने के लिए सहायक हो सकते हैं साथ ही ये पाचन तंत्र को भी मजबूत करती है क्योंकि स्वस्थ पाचन तंत्र लिवर पर अतिरिक्त दबाव को कम करता है, जिससे फैटी लिवर की समस्या में सुधार होता है। शंखपुष्पी को तनाव घटाने वाली औषधि भी माना जाता है और तनाव और चिंता लिवर की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए मानसिक शांति से लिवर को सहारा मिलता है।
त्रिफला - त्रिफला आयुर्वेद में एक प्रसिद्ध हर्बल मिश्रण है, ये आंवला, बेल और हरीतकी को मिलाकर बनता है, त्रिफला में डीटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं जो शरीर से टोक्सिंस को निकालते हैं, इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण लिवर में हो रही सूजन को कम करने में मदद करते हैं, साथ ही ये वसा के मेटाबोलिज़्म को संतुलित करने में मदद करती है। क्योंकि फैटी लिवर रोग में लिवर कोशिकाओं में वसा का अधिक जमाव होता है, और त्रिफला इसका उपचार कर सकती है।
विटामिन E और C - विटामिन E और C से भरपूर आहार लिवर के लिए बहुत जरूरी होते हैं, ये एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं।
हाइड्रेशन - हमारे शरीर को हाइड्रेशन की बहुत जरूरत होती है और लिवर की सफाई के लिए पर्याप्त पानी पीना बहुत जरूरी है। इसलिए दिन में 8-10 गिलास पानी पीने का प्रयास करें।
कम नमक का सेवन - ज्यादा नमक के सेवन से लिवर पर दबाव पड़ता है, मुख्य रूप से अगर फैटी लिवर की समस्या हो। इसलिए नमक का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करें
एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ - एंटी-इंफ्लेमेटरी वाले खाद्य पदार्थ फैटी लिवर में सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आयुर्वेदा में फैटी लिवर रोग ठीक हो सकता है, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें। साथ ही अगर आप या आपके कोई परिजन फैटी लिवर या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं और आप फैटी लिवर के लिए सबसे अच्छी दवा ढूंढ़ रहे हैं, तो आप कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक चिकित्सकों से इलाज करवा सकते हैं। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
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