आज-कल गठिया यानी अर्थराइटिस (Arthritis) एक सामान्य रोग बन चूका है जो समय के साथ एक दर्दनाक स्थिति बन जाती है, इसकी वजह से जोड़ों में सूजन, दर्द और कठोरता बन जाती है लेकिन इसकी कोई निश्चित उम्र नहीं होती ये किसी भी उम्र में हो सकता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको आयुर्वेदा में गठिया रोग ठीक हो सकता है? इस विषय में बताएंगे और साथ ही इसके कारणों और लक्षणों पर भी ध्यान देंगे साथ ही इस स्थिति में क्या खाना है इसे भी जानेंगे
हल्दी - हल्दी को प्राचीन समय से दर्द और त्वचा की समस्या में प्रयोग में लाया जाता है, इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो दर्द में राहत देने में मदद करते हैं, हल्दी जोड़ों की लचीलापन को बढ़ाने में मदद कर सकती है, जिससे जोड़ों में कठोरता की समस्या भी कम होने लगती है और हल्दी की सबसे खास बात ये है की हल्दी का सेवन एक प्राकृतिक और कम दुष्प्रभाव वाला तरीका है, जो गठिया के लक्षणों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
पंचकर्म - गठिया की समस्या में पंचकर्म एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक उपचार है, पंचकर्म में विभिन्न उपचार विधियाँ होती हैं जैसे स्नेहना जिसमे तेल लगाते हैं, स्वेदन यानी भाप लेने की प्रक्रिया, और वमन, उल्टी कराना, गठिया की स्थिति में कटी बस्ती और नस्य जैसी विधियाँ शामिल होती हैं। ये उपाय शरीर के आंतरिक दर्द को शांत करने में मददगार होते हैं और जोड़ों में गतिशीलता को बेहतर बनाते हैं। यही नहीं पंचकर्म में गठिया के कारण होने वाला मानसिक तनाव और चिंता भी इस उपचार से कम हो सकती है।
योग - गठिया में योग एक प्रभावी और प्राकृतिक उपचार हो सकता है। योग में गहरी सांसों का अभ्यास और स्ट्रेचिंग तकनीकें शरीर में रक्त संचार को बढ़ाती हैं, और अतिरिक्त वजन गठिया के लक्षणों को बढ़ा सकता है, क्योंकि यह जोड़ों पर अधिक दबाव डालता है। गठिये की समस्या में आप ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन, वीरभद्रासन और पश्चिमोत्तानासन कर सकते हैं।
हरीतकी - गठिया की समस्या में हरीतकी बहुत ही प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें औषधीय गुण होते हैं जो सूजन, दर्द, और विषाक्त पदार्थों के निष्कासन में मदद करते हैं। इसका सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही हरीतकी का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है, जिससे शरीर संक्रमण और सूजन से लड़ने में सक्षम होता है।
फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ: फलों और सब्जियों: इनका सेवन गठिया रोग में शरीर को लाभ पहुंचाता है क्योंकि इनमें फाइबर, विटामिन, और खनिज होते हैं। गाजर, कद्दू, बैंगन, और शिमला मिर्च जैसे खाद्य पदार्थ सूजन कम करने में मदद करते हैं।
ऑमेगा-3 फैटी एसिड: फ्लैक्ससीड, चिया सीड, और अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।
अच्छे प्रोटीन स्रोत: दालें और बीन्स: जैसे मसूर, चने, और राजमा में प्रोटीन होता है जो मांसपेशियों और जोड़ों की सेहत के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये गठिया में फायदेमंद हो सकते हैं क्योंकि ये मांसाहारी प्रोटीन से हल्के होते हैं और सूजन में मदद करते हैं।
हाइड्रेशन: शरीर को हाइड्रेटेड रखना गठिया के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। पर्याप्त पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं, जिससे सूजन और दर्द में राहत मिल सकती है।
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आयुर्वेदा में गठिया रोग ठीक हो सकता है, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, आप केवल इन उपायों पर निर्भर न रहें और कोई भी उपचार चुनने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। साथ ही अगर आप या आपके कोई परिजन गठिया या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं और आप गठिया के लिए सबसे अच्छी दवा ढूंढ़ रहे हैं, तो आप कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में भारत के बेस्ट आयुर्वेदिक चिकित्सकों से इलाज करवा सकते हैं। सेहत से जुड़े ऐसे ही ब्लॉग्स और आर्टिकल्स के लिए जुड़े रहें कर्मा आयुर्वेदा के साथ।
Second Floor, 77, Block C, Tarun Enclave, Pitampura, New Delhi, Delhi, 110034