अल्जाइमर के रोग में धीरे-धीरे याद्दाश्त खोने लगती है। ये एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें स्वभाव पर भी असर पड़ता है। ये एक प्रकार का डिमेंशिया होता है जिसमें सोचने, समझने और सीखने की क्षमता में गिरावट आने लगती है। बता दें कि अल्जाइमर की बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर कईं ज्यादा असर डालती है, लेकिन अल्जाइमर के 5 आयुर्वेदिक उपचार करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
1) केसर - केसर में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका सेवन करने से अल्जाइमर रोगियों की याददाश्त में बहुत सुधार हो सकता है। केसर में अवसाद से जूझ रहे लोगों को ठीक करने के भी गुण मौजूद मौजूद हैं। अवसाद भी याददाश्त भूलने की बीमारी से जुड़ा हुआ है।
2) हल्दी - हल्दी का सेवन करने से दिमाग के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। इसमें बीटा-एमिलॉइड मौजूद होता है, जो दिमाग को साफ करके अल्जाइमर रोग को दूर करने में मदद कर सकती है।
3) अश्वगंधा - अश्वगंधा ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में बहुत मदद करती है। इसका सेवन करने से दिमाग को बहुत लाभ पहुंचता है। अश्वगंधा का सेवन करने से अल्जाइमर रोग के विकास और प्रगति में तेजी आ सकती है। यह दिमाग को मजबूत करता है।
4) दालचीनी - दालचीनी हर घर में पाया जाने वाला मसाला है। दालचीनी प्री-डायबिटिक लोगों के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इसमें प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने की ताकत होती है, जो दिमाग के काम को तेज करती है। इसमें कोलेस्ट्रॉल, फास्टिंग ग्लूकोज के लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है।
5) थाइम - इस जड़ी-बूटी का सेवन करने से दिमाग में न्यूरॉन्स को समय से पहले बूढ़ा होने से बचाने में बहुत मदद मिलती है। ये दिमाग में एक्टिव ओमेगा-3 डीएचए की मात्रा को बढ़ाने में मदद कर सकती है। थाइम का सेवन करने से ओमेगा-3 फैटी एसिड याददाश्त और मूड को बढ़ाने का काम करता है और दिमाग को भी तेज करता है।
तो जैसा कि आपने जाना कि अल्जाइमर के आयुर्वेदिक उपचार कौन-से हैं। ऐसे में इनका सेवन करने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें, क्योंकि डॉक्टर आपकी रिपोर्ट्स देखकर बेहतर तरीके से बता सकते हैं कि आपके लिए ये उपाय ठीक हैं या नहीं।
अगर आपको भी अल्जाइमर या उससे जुड़ी किसी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किडनी को बिना डायलिसिस के ही ठीक किया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा में किडनी सूजन के आयुर्वेदिक उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज कर रहा है।
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