बदलते लाइफस्टाइल और खान-पान के चलते कुछ बीमारी या स्वास्थ्य समस्याएं आजकल तेजी से बढ़ रहे हैं। इन्हीं में से एक समस्या इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी कि स्तंभन दोष की भी है। ये पुरुषों में होने वाली यौन से जुड़ी एक समस्या है। वैसे तो ये समस्या ज्यादातर उन पुरुषों के साथ होती है, जो 40 की उम्र को पार कर चुके होते हैं, लेकिन आजकल ऐसा 40 की उम्र से कम वाले पुरुषों के साथ भी होने लगी है।
पहले बता दें कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तम्भन दोष का मतलब है कि इंटरकोर्स के समय जब पुरुष अपने लिंग में जरूरत के हिसाब से इरेक्शन या स्तम्भन लाने में असफल हो जाते हैं। ऐसे में इस कंडीशन को इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तम्भन दोष कहा जाता है, लेकिन परेशान होने की बात नहीं है, क्योंकि स्तम्भन की आयुर्वेदिक दवा लेकर इस समस्या का इलाज किया जा सकता है।
अगर इस समस्या को वक्त रहते काबू न किया गया, तो और भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में आज हम स्तंभन दोष के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा के साथ-साथ उसके कारणों के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।
स्तंभन दोष के कारण कुछ इस प्रकार हैं -
1) वजन बढ़ना
2) योग न करना
3) कोलेस्ट्रॉल का तेजी से बढ़ना
4) हाई ब्लड प्रेशर
5) धूम्रपान करना
1) शतावरी - स्तंभन दोष के लिए शतावरी को सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक दवाई माना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एस्पैरेगस रेस्मोसस है। इस जड़ी-बूटी का सेवन करने से पुरुषों के स्पर्म काउंड में बढ़ोतरी हो सकती है। इस पौधे की जड़ नसों को भी नियंत्रित रखने का काम करती हैं, जिससे तनाव से छुटकारा पाया जा सकता है।
2) सफेद मूसली - इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी से स्पर्म काउंट को बढ़ाने में मदद मिलती है। वैसे तो ज्यादातर आयुर्वेदिक डॉक्टर रोगी को 2 ग्राम सफेद मूसली का सेवन करने के लिए कहते हैं, लेकिन आप इसका सेवन अपने डॉक्टर की सलाह लेकर ही करें। आप इसे पाउडर के रूप में भी ले सकते हैं।
3) वाजीकरण - इस जड़ी-बूटी को सबसे अच्छा आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट माना जाता है। ये सेक्शुअल डिसऑर्डर का बेहतरीन ट्रीटमेंट उपलब्ध कराता है। वाजीकरण या वृष्या चिकित्सा का मुख्य काम यही है कि यह पुरुष और महिलाओं में यौन कौशल को बढ़ाता है।
4) कैसिया - दालचीनी भी एक तरह की जड़ी-बूटी है, जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष से पीड़ित लोगों का इलाज करती है।
तो जैसा कि आपने स्तंभन दोष के लिए सबसे अच्छा आयुर्वेदिक दवा क्या है, उसके बारे में जाना, लेकिन फिर भी इस इलाज को अपनाने से पहले आप एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें, क्योंकि वो आपकी रिपोर्ट्स देखकर बेहतर तरीके से बता पाएंगे कि आपके लिए ये उपाय कारगर साबित होंगे या नहीं।
अगर आपको भी इस रोग से जुड़ी किसी भी तरह की परेशानी महसूस हो रही है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में करवा सकते हैं। यहां पर सन, 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है और वर्तमान में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत की बात करें, तो उन्होंने न सिर्फ पूरे भारत में, बल्कि पूरे विश्व में किडनी की बीमारी से जूझ रहे पीड़ितों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।
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