पॉलीसिस्टक किडनी रोग को पीकेडी भी कहते हैं। यह बीमारी बच्चों को मां-बाप से जीन के जरिए मिलती है। बता दें कि किडनी की इस बीमारी में किडनी के ऊपर सिस्ट बनने लगते हैं, जो कि तरल उत्पादों से भरे रहते हैं। किडनी के ऊपर बने ये सिस्ट छोटे से लेकर बड़े आकार तक के हो सकते हैं। इनकी संख्या भी अनगिनत हो सकती है। अग इन सिस्ट का सही समय पर उपचार न हो, तो ऐसे में किडनी का आकार सामान्य से ज्यादा बड़ा हो जाता है और किडनी भी खराब होने लगती है।
पॉलीसिस्टक किडनी रोग होने पर कई तरह के लक्षण महसूस होते हैं -
1) उल्टी होना
2) थकान और कमजोरी
3) जी मिचलाना
4) भूख की कमी
5) पेट में गांठ होना
6) पेट में तेज दर्द होना
7) किडनी में बार-बार पथरी महसूस होना
8) पेशाब कम आना
9) लगातार पेशाब आना
10) हाई ब्लड प्रेशर
वैसे तो पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके मुख्य कारणों में शामिल हैं -
1) ऑटोसोमल रिसेसिव पॉलीसिस्टिक किडनी रोग
2) ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
1) नमक का न करें सेवन - नमक का सेवन कम करने से शरीर में सोडियम की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इससे बॉडी भी हाइड्रेट रहती है। इसके साथ ही इससे शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को डिटॉक्स करने में भी बहुत मदद मिल सकती है। नमक का सेवन कम करने से आप खुद को हेल्दी भी रख सकते हैं।
2) न करें स्मोकिंग - स्मोकिंग करने से ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि शरीर को हेल्दी बनाए रखने के लिए और किडनी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए स्मोकिंग से दूरी बनाकर रख लें। इससे आपको शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स दूर करने में भी मदद मिल जाती है।
3) रोजाना करें व्यायाम - रोजाना आधा घंटा व्यायाम या योग और चलने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन नियमित रहता है। इसके चलते शरीर में हो रहे दर्द, ऐंठन, आलस और शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मदद मिल जाती है। इसके अलावा योग और एक्सरसाइज करके अपने शरीर के स्टेमिना को बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है।
4) पौष्टिक आहार - पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से बचने के लिए आप अपनी डाइट में पौष्टिक आहार शामिल करें। इसके साथ ही जरूरी है कि अपने वजन को भी कंट्रोल में रखें, जिसके लिए आप कम कैलोरी वाला आहार लें। इसके साथ ही कैफीन से परहेज करें।
तो जैसा कि आपने जाना पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के कारण, लक्षण और उपचार क्या हैं? ऐसे में फिर भी इन उपचारों को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें, क्योंकि डॉक्टर आपको बेहतर तरीके से बता पाएंगे कि आपके लिए ये उपचार ठीक हैं या नहीं।
अगर आपको भी इस रोग से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या है, तो आप अपना इलाज कर्मा आयुर्वेदा में आकर करवा सकते हैं। यहां पर सन् 1937 से किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है और हाल ही में इसे डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में किडनी की बीमारी से जूझ रहे रोगियों का इलाज कर रहे हैं, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही भारतीय आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।
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